थागलन मूवी कोलार गोल्ड माइन फिल्म के ऊपर इस मूवी में लीड रोल में चियाग विक्रम यह स्टोरी आज से ढाई सौ से 300 साल पुरानी स्टोरी है
यह स्टोरी काफी अच्छी स्टोरी है जहां kgf का सोना पाने के लिए लोकल और अंग्रेज पीछे पड़ जाते हैंमूवी ऑलमोस्ट 2;30 घंटे की है मूवी 2024 की भारतीय तमिल भाषा की एडवेंचर एंड ड्रामा फिल्म इस फिल्म को सेंसर बोर्ड से यूए सर्टिफिकेट मिला हैवर्ल्ड वाइड लेवल पर तमिल और तेलुगु में रिलीज किया जाएगा और फिल्म का बजट100 से 120 करोड़ हैऔर इस फिल्म के लीड रोल चियाग विक्रम पार्वती और मालविका मोहन फिल्म के डायरेक्ट पी ए रंजीत ओर नीलम प्रोडक्शन द्वारा रिलीज जा रही
14 अगस्त 1947 की रात भारत आजादी से चंद पलों की दूरी पर था पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अपनी फेमस स्पीट से देश को संबोधित करने जा रहे हैं पूरे देश में खुशी की लहर थी नया भारत कैसा होगा उसके सपने बुने जा रहे थे नई दिल्ली से कोसों दूर कर्नाटक के एक इलाके में इस खबर से कोई असर नहीं पड़ने वाला था कर्नाटक की कोलार गोल्ड फील्ड्स में काम करने वाले मजदूरों के लिए 15 अगस्त की सुबह कोई नई रोशनी लेकर नहीं आने वाली थी पी एबल नाम के एक रिटायर्ड स्कूल टीचर बताते हैं कि देश को भले ही 1947 में आजादी मिल गई मगर 1956 तक कोलार गोल्ड फील्ड्स यानी केजीएफ अंग्रेजों के अंदर रही 1956 में जाकर इस खदान का राष्ट्रीयकरण हुआ मगर केजीएफ का इतिहास उससे भी बहुत साल पुराना है यश और प्रशांत नील वाली केजीएफ में आपने जो भी देखा उसका वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था केजीएफ की असली कहानी में बहुत सारा सोना था लालच था मरे हुए चूहे थे हाथ से खोदा हुआ सोना था ऐसा सोना जो जमीन से ऊपर आया तो उसका रंग लाल हो चुका था ये उस केजीएफ की कहानी है जिसे 121 साल तक खोदा गया और बदले में 800 टन सोना निकाला वो सोना जिसके पीछे भारत के मजदूरों ने खून पसीना बहाया लेकिन इस देश को कभी उस सोने की शक्ल देखना नसीब नहीं हुआ साल 1880 में जॉन टेलर एंड कंपनी नाम की एक ब्रिटिश माइनिंग कंपनी ने केजीएफ में ने व्यवस्थित माइनिंग शुरू की उस कंपनी ने मैसूर के महाराज से कोलार की जमीन लीज पर ली और वहां माइनिंग करना शुरू किया हालांकि पढ़ने को मिलता है कि 2000 साल पहले से वो जमीन सोना उगल रही है और स्थानीय लोग उसे अपने हाथों से खोदकर निकाल भी रहे थे साल 187 में ब्रिटिश आर्मी के एक रिटायर्ड फौजी ने बैंगलोर कंटेनमेंट को अपना घर बना लिया नाम था माइकल फिड्स जेराल्ड लेवन रिटायरमेंट के दिन आराम से बीत रहे थे माइकल को पढ़ने का शौक था एक दिन साल 1804 का एशियाटिक जर्नल हाथ लगा उसमें छपे एक आर्टिकल ने माइकल के हाथ में उनका सबसे बड़ा मकसद सौंप दिया आगे माइकल दुनिया के सबसे गहरी सोने की खदान यानी केजीएफ के जनक बने माइकल ने लेफ्टिनेंट जॉन वॉरेन की एक रिपोर्ट पड़ी वहां कोलार में सोने की खदान होने की संभावना जताई गई थी वॉरेन ने सुना था कि चोल साम्राज्य के दौरान लोग अपने हाथों से सोना खूद कर निकालते थे ऐसी अफवाहों से उत्साहित होकर वॉरेन ने घोषणा कर डाली जो भी उस जमीन से सोना निकाल कर दिखाया उसे इनाम दिया जाएगा जल्द ही गांव वाले बैल गाड़ियों में मिट्टी भरकर वॉरेन के पास पहुंच गए उन्होंने उस मिट्टी को धोया और वॉरेन के सामने सोने के पाउडर के निशान थे बताया जाता है कि साल 1804 से 1860 के बीच कोलार में सोना खोजने के लिए कई स्टडीज की गई लेकिन कोई फायदा नहीं निकला साल 187 में माइकल के हाथ यही रिपोर्ट लगी थी उन्होंने 2 साल तक उस इलाके में रिसर्च की साल 1973 में माइकल ने सरकार से माइनिंग की लीज मांगी सरकार का कहना था कि वो उन्हें कोयले की माइनिंग का लाइसेंस दे सकती है चूंकि कोलार में सोने का कोई निशान नहीं इसलिए सोने की माइनिंग का लाइसेंस नहीं मिल सकता जवाब में माइकल ने लंबी चौड़ी चिट्ठी लिखी उनका कहना था कि वो उन्हें बस लाइसेंस चाहिए वो अपने तरीके से सोने की खोज करेंगे वो भी बिना किसी सरकारी खर्चे के अगर सोना मिला तो वो ब्रिटिश सरकार के काम आएगा वरना ना मिलने पर सरकार का कोई नुकसान ही नहीं होगा 2 फरवरी 18753 लाइसेंस दे दिया गया साल 1880 में माइकल के हाथ से बैकडोर जॉन टेलर के पास गई माइनिंग के क्षेत्र में वह कंपनी आधुनिकता लेकर आई उनके आने के बाद कोलार गोल्ड फील्ड्स के सुनहरे दौर का उदय हुआ हालांकि ऐसा वहां रहने वाले लोगों के लिए नहीं कहा जा सकता माइनिंग शुरू होने से पहले आदिवासी समाज के गांव कोलार से सटे हुए थे अंग्रेजों के आने से पहले वह लोग अपने पारंपरिक ढंग से जमीन से सोना खोदते उसे बेचते और अपने परिवार का गुजारा किया करते अंग्रेज अपने हाथ से 1 ग्राम सोना भी भी फिसलने नहीं देना चाहते थे ऊपर से क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट भी लागू हो चुका था अपने पेपर डेंजरस लेबल क्राइम वर्क एंड पनिशमेंट इन कोलार गोल्ड फील्ड्स 1890 टू 1946 में जानकी नहर लिखती हैं कि अंग्रेजों ने इस एक्ट को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया आदिवासी लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया सरकार सिर्फ सोने खोदने और बेचने वालों को ही नहीं पकड़ रही थी बल्कि उनके परिवार के लोगों को भी जेल में डाला गया उनका विस्थापन किया गया माइ में तमिलनाडु और पड़ोसी राज्यों से मजदूरों को लाया गया वहां एंग्लो इंडियन मजदूर भी काम कर रहे थे लेकिन भारतीय मजदूरों के साथ भेदभाव किया जाता जानकी अपने पेपर में लिखती हैं कि दिन का काम खत्म होने के बाद हर भारतीय मजदूर की चेकिंग की जाती थी जबकि दूसरे कर्मचारियों के साथ ऐसा रवैया नहीं होता था ब्रिटिशर्स ने कोलार को लिटिल इंग्लैंड बना दिया वहां का मौसम भी अंग्रेज अधिकारियों को जम गया था साल 1902 में कोलार में इंडिया का पहला पावर प्लांट बनाया गया जहां एक तरफ आज भी पूरे देश में लगातार बिजली नहीं पहुंची है ऐसे में उस समय में लगातार बिजली आती थी लेकिन यह सारे सुख साधन सिर्फ अंग्रेज अधिकारियों के लिए थे भारतीय मजदूरों को खतरनाक माइन में 55 डिग्री के तापमान पर काम करना पड़ता था छप्पर के घर बनाकर परिवारों को रहना पड़ता था खाने में चूहे मुंह मारते रहते थे कहा जाता है कि उस दौरान मजदूर एक साल में करीब 500 हज चूहों को मार डालते थे मजदूरों के लिए आगे का समय इसलिए भी विषम होने वाला था दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश साम्राज्य को आर्थिक मजबूती की जरूरत थी सोने का दाम आसमान छू रहा था ऐसे में सरकार ने केजीएफ के मजदूरों का भत्ता कम कर दिया साथ ही ज्यादा सोने का उत्पादन करने का दबाव डालने लगे नतीजतन अपनी जान जोखिम में डालकर मजदूर काम करने लगे इस दौरान खान में कई मजदूरों की मौत हुई दुख की बात यह है कि केजीएफ की कहानी या उससे जुड़ा साहित्य आपको आसानी से पढ़ने को नहीं मिलेगा इसकी वजह है कि उस दौरान ब्रिटिश सरकार का सेंसरशिप को लेकर कड़ा रुख था साल 1956 में ब्रिटिश केजीएफ छोड़कर चले गए उसके बाद भारतीय सर सरकार ने कुछ साल तक वहां काम किया सोने की गुणवत्ता गिरने लगी दूसरी ओर ज्यादा आगे तक माइनिंग करना भी मुश्किल होता जा रहा था ऐसे में साल 2001 में कोलार गोल्ड फील्ड्स को बंद कर दिया गया केजीएफ की इसी कहानी से प्रेरणा लेकर पारम जीत ने तंगला नाम की फिल्म बनाई है हाल ही में फिल्म का ट्रेलर भी आया है ट्रेलर में दिखाया गया कि एक अंग्रेज अधिकारी कोलार में सोना खोजने के लिए आया है शिया विक्रम ने एक आदिवासी का रोल किया है उनका मानना है कि सिर्फ वही सोना निकालने में अंग्रेज अफसर की मदद कर सकता है आगे सोने तक पहुंचने का सफर शुरू होता है तंगला में दिखाया गया है कि उनका सामना आरती नाम की महिला से होता है दिखाया जाता है कि उसके पास मायावी शक्तियां हैं वो किसी भी तरह उन्हें सोने की खुदाई करने से रोकती है मुमकिन है कि फिल्म में दिखाया जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने अपने लालच के लिए वहां के लोगों की दुर्दशा कर दी हालांकि ट्रेलर में इसकी झलक मिलती है